Monday, December 31, 2012

rape victim


             Delhi gangrape victim uncensensored

शायद    मै नहीं भूल सकता हूँ ना जाने क्यों पर नहीं
मै नहीं भूल सकता कि आज भी 30 दिनों के बाद सोते वक्त इस वाकये को याद करते हुए मेरे रोंगटे से खड़े हो जाते है या फिर महसूस करके एक अजीब सी झुरझुरी पूरे शरीर में दौड़ जाती है! मै नहीं भूल सकता कि खुद को नाबालिग बताने वाला इतना बड़ा वहशी हो सकता है कि पेट रॉड घुसेड़ने के बाद भी बोलता है कि ''ले साली मर''! दर्द होता है ये महसूस करके कि किसी के जिन्दा शरीर से आंते खीचने पर कैसा महसूस होता होगा! दर्द होता है कि कैसा महिला संघटन है जिसने ये कह दिया कि 18 साल तक से नीचे की उम्र वाला तक ही नाबालिग होगा! पर मै ये नहीं भूल सकता कि उस वहशी नाबालिग को ये जरुर पता था कि आतें चीर देने से डी एन ए मिट जाता है! दर्द होता है मुझे ना जाने क्यों? शायद कोई मुझे साइको [मानसिक रोगी ] भी समझ सकता है! पर मुझे ख़ुशी है कि मै उसके लिए साइको हूँ, जिसका मुझे धर्म, जात, घर, गावं कुछ भी पता नही था पर जिसने मेरा नजरिया बदला! कम से कम मै ''क्या माल है यार'' की मानसिकता से तो ऊपर उठा! पर दर्द होता है कि इतना बड़ा कलंक लगने के बाद भी राजधानी दिल्ली आज भी दरिंदो की ही दिल्ली है! उसकी मानसिकता में रत्ती भर भी फर्क नहीं आया! दर्द होता है कि सबको अपनी टी आर पी की ही पड़ी है हर कोई उसकी कहानी को भुनाने में लगा है पर उसके दर्द को महसूस कोई नहीं कर रहा है! हमारी नीचता का सबसे प्रमाण तो ये ही है कि ''क्राइम पेट्रोल'' [सीरियल सोनी टी वी] ने तो दो एपिसोड [दिल्ली गेंग रेप] का धारावाहिक ही बना डाला!
दर्द होता बहुत दर्द होता है! और मेरी दुआ है कि इस दर्द में सब डूबे सब रोये! ताकि फिर से कोई दामिनी, निर्भया, प्रेरणा, अमानत,वेदना ना बने! ताकि फिर से किसी ''ज्योति'' का ये हश्र न हो! वो मरे तो अपनी मौत मरे, इस तरह दरिंदगी की हदों के पार नहीं दर्द है हमेशा रहेगा रहना ही चाहिए

तूने ही कहा था की कश्ती पे बोझ हूँ
आंसू न अब बहा देख मुझे डूबते

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